PAKIZA

एक जो लिखी गई है ताजोर्बो के बाद |
इस किताब में मेरी जिंदगी के अहसास, तजुर्बे और हकीक़त को कोरे कागज पर उतारा है | इसमें जिंदगी की हकीक़त, माँ – बाप का प्यार, सियासत और इश्क को बेशुमार है | मुझे चर्बी लिखने की आदत नहीं, मैं अदब लिखता हूँ | मेरी किताबों को हर कोई पढ़ सकता है |
वैसे मैं इतना लिखता नहीं हूँ | मैं अपनी बात बहुत ही कम अलफ़ाजो में कह देता हूँ | मैं कभी – कभी ही लिखता हूँ और बहुत कम लिखता हूँ | आप मेरी शायरी को अपनी जिंदगी से, आपने माँ-बाप से, अपने बहिन-भाई से, अपने इश्क़ से या सियासत से और अपने किसी एहसास में उतर सकते है |
ऐसा बिलकुल नहीं है की मैं अपने इश्क के लिये लिखता हूँ | मैं अपने हर एहसास को अपने इश्क से नवाज़ देता हूँ ताकि आप इसे मेरे अहसास न समझे | मैं चाहता हूँ की आप मेरे अहसासों को अपने अहसास अपनी जिंदगी में उतारे | कोई भी मेरी अलफ़ाजो का ग़लत मतलब ना निकाले | जो मैं बयां करना चाहता हूँ उसे महसूस करे |
स्वागत है आपका पाकीज़ा में |
 

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PAKIZA

एक जो लिखी गई है ताजोर्बो के बाद |
इस किताब में मेरी जिंदगी के अहसास, तजुर्बे और हकीक़त को कोरे कागज पर उतारा है | इसमें जिंदगी की हकीक़त, माँ – बाप का प्यार, सियासत और इश्क को बेशुमार है | मुझे चर्बी लिखने की आदत नहीं, मैं अदब लिखता हूँ | मेरी किताबों को हर कोई पढ़ सकता है |
वैसे मैं इतना लिखता नहीं हूँ | मैं अपनी बात बहुत ही कम अलफ़ाजो में कह देता हूँ | मैं कभी – कभी ही लिखता हूँ और बहुत कम लिखता हूँ | आप मेरी शायरी को अपनी जिंदगी से, आपने माँ-बाप से, अपने बहिन-भाई से, अपने इश्क़ से या सियासत से और अपने किसी एहसास में उतर सकते है |
ऐसा बिलकुल नहीं है की मैं अपने इश्क के लिये लिखता हूँ | मैं अपने हर एहसास को अपने इश्क से नवाज़ देता हूँ ताकि आप इसे मेरे अहसास न समझे | मैं चाहता हूँ की आप मेरे अहसासों को अपने अहसास अपनी जिंदगी में उतारे | कोई भी मेरी अलफ़ाजो का ग़लत मतलब ना निकाले | जो मैं बयां करना चाहता हूँ उसे महसूस करे |
स्वागत है आपका पाकीज़ा में |
 

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PAKIZA

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by AAKIL AHMED SAIFI
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एक जो लिखी गई है ताजोर्बो के बाद |
इस किताब में मेरी जिंदगी के अहसास, तजुर्बे और हकीक़त को कोरे कागज पर उतारा है | इसमें जिंदगी की हकीक़त, माँ – बाप का प्यार, सियासत और इश्क को बेशुमार है | मुझे चर्बी लिखने की आदत नहीं, मैं अदब लिखता हूँ | मेरी किताबों को हर कोई पढ़ सकता है |
वैसे मैं इतना लिखता नहीं हूँ | मैं अपनी बात बहुत ही कम अलफ़ाजो में कह देता हूँ | मैं कभी – कभी ही लिखता हूँ और बहुत कम लिखता हूँ | आप मेरी शायरी को अपनी जिंदगी से, आपने माँ-बाप से, अपने बहिन-भाई से, अपने इश्क़ से या सियासत से और अपने किसी एहसास में उतर सकते है |
ऐसा बिलकुल नहीं है की मैं अपने इश्क के लिये लिखता हूँ | मैं अपने हर एहसास को अपने इश्क से नवाज़ देता हूँ ताकि आप इसे मेरे अहसास न समझे | मैं चाहता हूँ की आप मेरे अहसासों को अपने अहसास अपनी जिंदगी में उतारे | कोई भी मेरी अलफ़ाजो का ग़लत मतलब ना निकाले | जो मैं बयां करना चाहता हूँ उसे महसूस करे |
स्वागत है आपका पाकीज़ा में |
 


Product Details

ISBN-13: 9780463657232
Publisher: THE AAKIL'S PUBLISHERS
Publication date: 04/28/2020
Sold by: PUBLISHDRIVE KFT
Format: eBook
Pages: 69
File size: 124 KB
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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