Mahabharat Rista Hai
रिसना प्रवाह नहीं है, उसमें वेग नहीं होता, गतिशीलता नहीं होती, बहने का शोर नहीं होता। रिसना बहुत धीमा होता है, प्रायः गतिहीन और मौन। महर्षि वेदव्यास की रचना महाभारत समयातीत है। बचपन से ही मैंने 'महाभारत' को सुना, पढ़ा, देखा व समयानुसार कुछ-न-कुछ समझा भी है। ज्यों-ज्यों मैं बड़ी हुई, मुझे ऐसा लगने लगा जैसे बाल-चेतना में रचा-बसा महाभारत प्रत्येक घर में समाज के हर वर्ग में किसी-न-किसी हद तक हर रोज घटित होता है। अतीत कभी दफ न नहीं होता, वह किसी-न-किसी रूप में जिंदगी में बरकरार रहता है। 'महाभारत रिसता है' कहानी-संग्रह के कहानी के पात्र व परिवेश मैंने अपने आसपास बिखरा पड़ा देखा, पुनर्जीवित होते देखा। सामाजिक वर्जनाओं की सीमाओं में बँधा अकेलापन, अभिमन्युत्व व रविवारियता से उपजी अतलांतिक पीड़ा को झेलती औरतों के जीवन को शब्दबद्ध किया गया है। इन कहानियों का प्रवेश ऐसे परिवेश या ऐसे झरोखों से हुआ, जहाँ मैंने स्वयं ताक-झाँक की या उन पात्रों से बात करके उनकी पीड़ा की गहराई तक जाने या महसूस करने का प्रयास किया। कहानियाँ केवल साहित्य ही नहीं, किसी का जिया हुआ यथार्थ भी हैं। आज भी द्रौपदियों का अपमान होता है, अभिमन्युओं का वध होता है और किन्ही कारणों से कुंती कर्णों को नदी-नालों में बहाने के लिए विवश हो जाती हैं। महाभारत रिसता है
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Mahabharat Rista Hai
रिसना प्रवाह नहीं है, उसमें वेग नहीं होता, गतिशीलता नहीं होती, बहने का शोर नहीं होता। रिसना बहुत धीमा होता है, प्रायः गतिहीन और मौन। महर्षि वेदव्यास की रचना महाभारत समयातीत है। बचपन से ही मैंने 'महाभारत' को सुना, पढ़ा, देखा व समयानुसार कुछ-न-कुछ समझा भी है। ज्यों-ज्यों मैं बड़ी हुई, मुझे ऐसा लगने लगा जैसे बाल-चेतना में रचा-बसा महाभारत प्रत्येक घर में समाज के हर वर्ग में किसी-न-किसी हद तक हर रोज घटित होता है। अतीत कभी दफ न नहीं होता, वह किसी-न-किसी रूप में जिंदगी में बरकरार रहता है। 'महाभारत रिसता है' कहानी-संग्रह के कहानी के पात्र व परिवेश मैंने अपने आसपास बिखरा पड़ा देखा, पुनर्जीवित होते देखा। सामाजिक वर्जनाओं की सीमाओं में बँधा अकेलापन, अभिमन्युत्व व रविवारियता से उपजी अतलांतिक पीड़ा को झेलती औरतों के जीवन को शब्दबद्ध किया गया है। इन कहानियों का प्रवेश ऐसे परिवेश या ऐसे झरोखों से हुआ, जहाँ मैंने स्वयं ताक-झाँक की या उन पात्रों से बात करके उनकी पीड़ा की गहराई तक जाने या महसूस करने का प्रयास किया। कहानियाँ केवल साहित्य ही नहीं, किसी का जिया हुआ यथार्थ भी हैं। आज भी द्रौपदियों का अपमान होता है, अभिमन्युओं का वध होता है और किन्ही कारणों से कुंती कर्णों को नदी-नालों में बहाने के लिए विवश हो जाती हैं। महाभारत रिसता है
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Mahabharat Rista Hai
160Mahabharat Rista Hai
160Hardcover
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Product Details
ISBN-13: | 9789355620248 |
---|---|
Publisher: | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
Publication date: | 12/23/2021 |
Pages: | 160 |
Product dimensions: | 6.00(w) x 9.00(h) x 0.50(d) |
Language: | Hindi |
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