दोस्तों सही हैं न ! कि हर ज़िंदगी अपनी कुछ कही और कुछ अनकही कहानी छोड़कर उस परम सत्य को आत्मसात कर लेती है अर्थात मौत के आगोश में जाती है। हम कितना भी जी ले पर फिर भी कुछ रह जाता है जिसे हम जी नहीं पाते। कुछ अलभ्य, अतृप्त और कुछ बची आकांक्षाएं छूट जाती हैं और वक्त की रफ़्तार में जीवन कितना आगे बढ़ चुका होता है, हमें पता ही नहीं चलता। जब यह अहसास होता है तो हम बहुत आगे बढ़ चुके होते हैं और हम उस वक्त को लौटा नहीं पाते,तब ही हमें महसूस होता है कि वाकई सबकी जिन्दगी में कुछ रह जाता है जिसे हम जी नहीं पाते या कुछ अरमान होते हैं जिसे हम पूरा नहीं कर पाते। तब हम गुनगुना उठते है “जिन्दगी मूक सबकी कहानी रही”.........।
मेरे इस संग्रह में गीत भी है, मुक्तक भी है अतुकांत कवितायें भी हैं, और तुकांत कवितायें भी हैं। यह संग्रह सिर्फ मेरे मन में आये उन भावों का संग्रह है,जो मेरे सुख और दुःख में उपजे हैं। इसमें आपको कला पक्ष और काव्यगत विशेषताओं का भले ही अभाव मिले, पर भावनाओं का ज्वार हर जगह मिलेगा। यह संग्रह कालजयी हो न हो पर भावजयी अवश्य है, इतना मैं कह सकती हूँ। जब आप इसे पढ़ेगें, तो मेरी भावनाओं और उन अभिव्यक्तियों को आप अवश्य महसूस करेंगे जो हर मानव मन की पीड़ा होती है। ये एक दिन में लिखा कोई महाकाव्य नहीं है, बल्कि जीवन के अलग-अलग मोड़ पर उत्पन्न परिस्थितियों में आयी भावनाओं की अभिव्यक्ति है। जिसमें सुख है, दुःख है, मन की पीड़ा है, प्रेम है, करूणा है, जीवन का सत्य है, संसार का यथार्थ है, अगर कहीं रिश्तों की रिक्तता है तो कहीं रिश्तों की गहराई भी है, मन की अवस्था के हर रंग को इस संग्रह में स्थान मिला है।
दोस्तों सही हैं न ! कि हर ज़िंदगी अपनी कुछ कही और कुछ अनकही कहानी छोड़कर उस परम सत्य को आत्मसात कर लेती है अर्थात मौत के आगोश में जाती है। हम कितना भी जी ले पर फिर भी कुछ रह जाता है जिसे हम जी नहीं पाते। कुछ अलभ्य, अतृप्त और कुछ बची आकांक्षाएं छूट जाती हैं और वक्त की रफ़्तार में जीवन कितना आगे बढ़ चुका होता है, हमें पता ही नहीं चलता। जब यह अहसास होता है तो हम बहुत आगे बढ़ चुके होते हैं और हम उस वक्त को लौटा नहीं पाते,तब ही हमें महसूस होता है कि वाकई सबकी जिन्दगी में कुछ रह जाता है जिसे हम जी नहीं पाते या कुछ अरमान होते हैं जिसे हम पूरा नहीं कर पाते। तब हम गुनगुना उठते है “जिन्दगी मूक सबकी कहानी रही”.........।
मेरे इस संग्रह में गीत भी है, मुक्तक भी है अतुकांत कवितायें भी हैं, और तुकांत कवितायें भी हैं। यह संग्रह सिर्फ मेरे मन में आये उन भावों का संग्रह है,जो मेरे सुख और दुःख में उपजे हैं। इसमें आपको कला पक्ष और काव्यगत विशेषताओं का भले ही अभाव मिले, पर भावनाओं का ज्वार हर जगह मिलेगा। यह संग्रह कालजयी हो न हो पर भावजयी अवश्य है, इतना मैं कह सकती हूँ। जब आप इसे पढ़ेगें, तो मेरी भावनाओं और उन अभिव्यक्तियों को आप अवश्य महसूस करेंगे जो हर मानव मन की पीड़ा होती है। ये एक दिन में लिखा कोई महाकाव्य नहीं है, बल्कि जीवन के अलग-अलग मोड़ पर उत्पन्न परिस्थितियों में आयी भावनाओं की अभिव्यक्ति है। जिसमें सुख है, दुःख है, मन की पीड़ा है, प्रेम है, करूणा है, जीवन का सत्य है, संसार का यथार्थ है, अगर कहीं रिश्तों की रिक्तता है तो कहीं रिश्तों की गहराई भी है, मन की अवस्था के हर रंग को इस संग्रह में स्थान मिला है।
jindagi muka sabaki kahani rahi
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Product Details
BN ID: | 2940164923327 |
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Publisher: | Virgin sahityapeeth |
Publication date: | 05/30/2021 |
Sold by: | Smashwords |
Format: | eBook |
File size: | 460 KB |
Language: | Hindi |