छोटी-छोटी बातें कहने का शौक है मुझे। ‘समिश्रा’ के नाम से गद्य-पद्य, दोनों विधा में लिखती हूँ।
आत्म मुग्धता? नहीं
आत्म प्रवंचना? नहीं
फिर क्या बात है मुझमें
बस एक प्यारा सा दिल मेरा
और हंसी की सौगात है मुझमें
दुनिया में होंगे सुखनवर
बहुत अच्छे से भी अच्छे,
पर बात जो मेरी
वह किसी में भी नहीं
छोटी-छोटी बातें कहने का शौक है मुझे। ‘समिश्रा’ के नाम से गद्य-पद्य, दोनों विधा में लिखती हूँ।
आत्म मुग्धता? नहीं
आत्म प्रवंचना? नहीं
फिर क्या बात है मुझमें
बस एक प्यारा सा दिल मेरा
और हंसी की सौगात है मुझमें
दुनिया में होंगे सुखनवर
बहुत अच्छे से भी अच्छे,
पर बात जो मेरी
वह किसी में भी नहीं
छोटी-छोटी बातें कहने का शौक है मुझे। ‘समिश्रा’ के नाम से गद्य-पद्य, दोनों विधा में लिखती हूँ।
आत्म मुग्धता? नहीं
आत्म प्रवंचना? नहीं
फिर क्या बात है मुझमें
बस एक प्यारा सा दिल मेरा
और हंसी की सौगात है मुझमें
दुनिया में होंगे सुखनवर
बहुत अच्छे से भी अच्छे,
पर बात जो मेरी
वह किसी में भी नहीं