Dr. Ram Manohar Lohia : Samiksha Aur Vichar
राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को अयोध्या में हुआ था। उनके पिताजी हीरालाल पेशे से अध्यापक व हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे। राममनोहर लोहिया ने अपनी प्रखर देशभक्ति और तेजस्वी समाजवादी विचारों के कारण अपने समर्थकों के साथ ही अपने विरोधियों के मध्य भी अपार सम्मान हासिल किया। देश की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद ऐसे कई नेता हुए जिन्होंने अपने दम पर शासन का रुख बदल दिया जिनमें से एक थे राममनोहर लोहिया। लोहिया राष्ट्रीयता के सजग प्रहरी थे। वे हिन्दू राष्ट्र, सिख राष्ट्र, मुस्लिम राष्ट्र, ईसाई राष्ट्र नहीं चाहते थे, उन्हें वांछित थी देश की एकता। गुटनिरपेक्ष नीति को भी वे राज्य की कसौटी पर परखना चाहते थे। वे कहते थे अपने देश की, अपने राज्य की रक्षा करना सबसे बड़ा कर्तव्य है।
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Dr. Ram Manohar Lohia : Samiksha Aur Vichar
राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को अयोध्या में हुआ था। उनके पिताजी हीरालाल पेशे से अध्यापक व हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे। राममनोहर लोहिया ने अपनी प्रखर देशभक्ति और तेजस्वी समाजवादी विचारों के कारण अपने समर्थकों के साथ ही अपने विरोधियों के मध्य भी अपार सम्मान हासिल किया। देश की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद ऐसे कई नेता हुए जिन्होंने अपने दम पर शासन का रुख बदल दिया जिनमें से एक थे राममनोहर लोहिया। लोहिया राष्ट्रीयता के सजग प्रहरी थे। वे हिन्दू राष्ट्र, सिख राष्ट्र, मुस्लिम राष्ट्र, ईसाई राष्ट्र नहीं चाहते थे, उन्हें वांछित थी देश की एकता। गुटनिरपेक्ष नीति को भी वे राज्य की कसौटी पर परखना चाहते थे। वे कहते थे अपने देश की, अपने राज्य की रक्षा करना सबसे बड़ा कर्तव्य है।
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Dr. Ram Manohar Lohia : Samiksha Aur Vichar

Dr. Ram Manohar Lohia : Samiksha Aur Vichar

by ?Rajeev Kumar Awasthi
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by ?Rajeev Kumar Awasthi

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Overview

राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को अयोध्या में हुआ था। उनके पिताजी हीरालाल पेशे से अध्यापक व हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे। राममनोहर लोहिया ने अपनी प्रखर देशभक्ति और तेजस्वी समाजवादी विचारों के कारण अपने समर्थकों के साथ ही अपने विरोधियों के मध्य भी अपार सम्मान हासिल किया। देश की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद ऐसे कई नेता हुए जिन्होंने अपने दम पर शासन का रुख बदल दिया जिनमें से एक थे राममनोहर लोहिया। लोहिया राष्ट्रीयता के सजग प्रहरी थे। वे हिन्दू राष्ट्र, सिख राष्ट्र, मुस्लिम राष्ट्र, ईसाई राष्ट्र नहीं चाहते थे, उन्हें वांछित थी देश की एकता। गुटनिरपेक्ष नीति को भी वे राज्य की कसौटी पर परखना चाहते थे। वे कहते थे अपने देश की, अपने राज्य की रक्षा करना सबसे बड़ा कर्तव्य है।

Product Details

ISBN-13: 9789354627255
Publisher: True Sign Publishing House
Publication date: 04/20/2023
Sold by: Barnes & Noble
Format: eBook
File size: 986 KB
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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