Dharma Kaiya Hain
यदि व्यावहारिक तौर पर देखा तो मनुष्य जिस पारलौकिक आत्मा और परमात्मा की सत्ता के प्रति आस्था तथा सम्बन्ध स्थापित करता है, वास्तव में, वही धर्म का मूल तत्व है। चहुँ दिशाओं में अनन्त शत्तिफ़ का व्याप्त होना एवं उसके साथ ही ज्ञान और बौद्धिक संबंध स्थापित करने का नाम ही ‘धर्म’ है। धर्म ही मनुष्य के जीवन को उस अनन्त शत्तिफ़ के साथ बांधता है, साथ ही उसका मार्गदर्शन भी करता है।
- इसी पुस्तक से
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Dharma Kaiya Hain
यदि व्यावहारिक तौर पर देखा तो मनुष्य जिस पारलौकिक आत्मा और परमात्मा की सत्ता के प्रति आस्था तथा सम्बन्ध स्थापित करता है, वास्तव में, वही धर्म का मूल तत्व है। चहुँ दिशाओं में अनन्त शत्तिफ़ का व्याप्त होना एवं उसके साथ ही ज्ञान और बौद्धिक संबंध स्थापित करने का नाम ही ‘धर्म’ है। धर्म ही मनुष्य के जीवन को उस अनन्त शत्तिफ़ के साथ बांधता है, साथ ही उसका मार्गदर्शन भी करता है।
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by Mahamata Tolstoy
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Overview

यदि व्यावहारिक तौर पर देखा तो मनुष्य जिस पारलौकिक आत्मा और परमात्मा की सत्ता के प्रति आस्था तथा सम्बन्ध स्थापित करता है, वास्तव में, वही धर्म का मूल तत्व है। चहुँ दिशाओं में अनन्त शत्तिफ़ का व्याप्त होना एवं उसके साथ ही ज्ञान और बौद्धिक संबंध स्थापित करने का नाम ही ‘धर्म’ है। धर्म ही मनुष्य के जीवन को उस अनन्त शत्तिफ़ के साथ बांधता है, साथ ही उसका मार्गदर्शन भी करता है।
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Product Details

ISBN-13: 9788194883500
Publisher: Prabhakar Prakshan
Publication date: 05/06/2020
Sold by: Barnes & Noble
Format: eBook
File size: 446 KB
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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