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प्रो. सरयू प्रसाद चौबे का जन्म वाराणसी जनपद के एक ग्रामीण क्षेत्र में फरवरी, 1919 में हुआ | बनारस से एम.ए. तथा इलाहाबाद से एम.एड. किया। 1950 में यू.एस.ए. के इण्डियाना विश्वविद्यालय ने शिक्षाशास्त्र में डाक्टरेट डिग्री हेतु अनुसंधान करने के लिए फेलो नियुक्त किया। इसके फलस्वरूप इन्हें डॉक्टर ऑफ एजूकेशन की डिग्री 1952 में प्रदान की गई। शिक्षा क्षेत्र में इनकी विविध रचनाओं के उपलक्ष्य में एक "अन्तर्राष्ट्रीय निर्णायक समिति" ने इन्हें 1963 में “जी.जे. वातूमल मेमोरियल अवार्ड इन एजूकेशन" से विभूषित किया । लखनऊ विश्वविद्यालय ने 1965 में इन्हें डी.लिट. की डिग्री दी। साथ ही, इस विश्वविद्यालय ने इस सत्र में किये गये सर्वोच्च अनुसंधान हेतु बनर्जी रिसर्च पुरस्कार भी इन्हें दिया। लखनऊ विश्वविद्यालय में वर्षों तक अध्यापनकार्य करने के बाद ये 1969 में गोरखपुर । विश्वविद्यालय में नियुक्त हुये, और यहीं से ये 1979 में प्रोफेसर ऑफ एजूकेशन तथा डीन पद से अवकाश प्राप्त किया। डा. चौबे ने "शिक्षा-शास्त्र" तथा "मनोविज्ञान' के क्षेत्र में 50 से अधिक ग्रन्थों की रचना की है। इनके द्वारा हिन्दी तथा अंग्रेजी में रचित पुस्तकें विश्वविद्यालयों में पढ़ायी जाती हैं। फलतः देश के सभी विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में इनकी पुस्तकें संग्रहीत हैं।
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प्रो. सरयू प्रसाद चौबे का जन्म वाराणसी जनपद के एक ग्रामीण क्षेत्र में फरवरी, 1919 में हुआ | बनारस से एम.ए. तथा इलाहाबाद से एम.एड. किया। 1950 में यू.एस.ए. के इण्डियाना विश्वविद्यालय ने शिक्षाशास्त्र में डाक्टरेट डिग्री हेतु अनुसंधान करने के लिए फेलो नियुक्त किया। इसके फलस्वरूप इन्हें डॉक्टर ऑफ एजूकेशन की डिग्री 1952 में प्रदान की गई। शिक्षा क्षेत्र में इनकी विविध रचनाओं के उपलक्ष्य में एक "अन्तर्राष्ट्रीय निर्णायक समिति" ने इन्हें 1963 में “जी.जे. वातूमल मेमोरियल अवार्ड इन एजूकेशन" से विभूषित किया । लखनऊ विश्वविद्यालय ने 1965 में इन्हें डी.लिट. की डिग्री दी। साथ ही, इस विश्वविद्यालय ने इस सत्र में किये गये सर्वोच्च अनुसंधान हेतु बनर्जी रिसर्च पुरस्कार भी इन्हें दिया। लखनऊ विश्वविद्यालय में वर्षों तक अध्यापनकार्य करने के बाद ये 1969 में गोरखपुर । विश्वविद्यालय में नियुक्त हुये, और यहीं से ये 1979 में प्रोफेसर ऑफ एजूकेशन तथा डीन पद से अवकाश प्राप्त किया। डा. चौबे ने "शिक्षा-शास्त्र" तथा "मनोविज्ञान' के क्षेत्र में 50 से अधिक ग्रन्थों की रचना की है। इनके द्वारा हिन्दी तथा अंग्रेजी में रचित पुस्तकें विश्वविद्यालयों में पढ़ायी जाती हैं। फलतः देश के सभी विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में इनकी पुस्तकें संग्रहीत हैं।
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by ???? ?????? ???? (Sarayu Prasada Caube)
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प्रो. सरयू प्रसाद चौबे का जन्म वाराणसी जनपद के एक ग्रामीण क्षेत्र में फरवरी, 1919 में हुआ | बनारस से एम.ए. तथा इलाहाबाद से एम.एड. किया। 1950 में यू.एस.ए. के इण्डियाना विश्वविद्यालय ने शिक्षाशास्त्र में डाक्टरेट डिग्री हेतु अनुसंधान करने के लिए फेलो नियुक्त किया। इसके फलस्वरूप इन्हें डॉक्टर ऑफ एजूकेशन की डिग्री 1952 में प्रदान की गई। शिक्षा क्षेत्र में इनकी विविध रचनाओं के उपलक्ष्य में एक "अन्तर्राष्ट्रीय निर्णायक समिति" ने इन्हें 1963 में “जी.जे. वातूमल मेमोरियल अवार्ड इन एजूकेशन" से विभूषित किया । लखनऊ विश्वविद्यालय ने 1965 में इन्हें डी.लिट. की डिग्री दी। साथ ही, इस विश्वविद्यालय ने इस सत्र में किये गये सर्वोच्च अनुसंधान हेतु बनर्जी रिसर्च पुरस्कार भी इन्हें दिया। लखनऊ विश्वविद्यालय में वर्षों तक अध्यापनकार्य करने के बाद ये 1969 में गोरखपुर । विश्वविद्यालय में नियुक्त हुये, और यहीं से ये 1979 में प्रोफेसर ऑफ एजूकेशन तथा डीन पद से अवकाश प्राप्त किया। डा. चौबे ने "शिक्षा-शास्त्र" तथा "मनोविज्ञान' के क्षेत्र में 50 से अधिक ग्रन्थों की रचना की है। इनके द्वारा हिन्दी तथा अंग्रेजी में रचित पुस्तकें विश्वविद्यालयों में पढ़ायी जाती हैं। फलतः देश के सभी विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में इनकी पुस्तकें संग्रहीत हैं।

Product Details

ISBN-13: 9789355944603
Publisher: Concept Publishing Company Pvt. Ltd.
Publication date: 06/30/2006
Sold by: Barnes & Noble
Format: eBook
Pages: 360
File size: 1 MB
From the B&N Reads Blog

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