मेरा अपराध
ये जो वक़्त का पहिया है ना ! ना तो ये कभी रूका है और ना ही कभी रूकेगा.वैसे भी कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है लेकिन कभी-कभी आदमी समय के आगे इतना बेबस और लाचार नजर आता है कि उसे अपने खुद की रची हुई अनचाही परिस्थितियों से निकलना मुश्किल हो जाता है। अगर वक़्त आपको मुझेहाँह चिढ़ाने पर आ जाए तो समझें कि ऊँट पर बैठे होने के बावजूद आपको कुत्ता काट सकता है। लेकिन अगर यही वक़्त किसी के साथ यारी कर ले तो चाय वाला भी देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। सब समय और तकदीर की बात है। अगर वक़्त और तकदीर दोनों आपके साथ हैं तो आपकी मटमैली तस्वीर के सुनहरा होने में पल भर की भी देरी नहीं लगती। फिलहाल, मैं खुद को खुशकिस्मत मानूं या नहीं, मैं खुद फैसला नहीं कर पा रहा हूं। लेकिन मेरी किताब पढ़ने के बाद आप ये राय जरूर कायम कर कसेंगे कि मेरे भूत को देखते हुए मेरा भविष्य मुझे किस दिशा में ले जाएगा। मैं आप पाठकों के ज्योतिषी होने की अपेक्षा नहीं कर रहा लेकिन इस किताब को पढ़ने के बाद आप मेरे चाल, चेहरा और चरित्र को लेकर आंकलन तो कर ही सकते हैं। तो तैयार हो जाइए बिना लाग-लपेट के मेरे बारे में अपनी राय बनाने की.मैं अपने बारे में सब कुछ लिखने जा रहा हूं, जिसकी समीक्षा आप लोगों को ही करनी है और बताना है मेरा अपराध.
1144377293
मेरा अपराध
ये जो वक़्त का पहिया है ना ! ना तो ये कभी रूका है और ना ही कभी रूकेगा.वैसे भी कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है लेकिन कभी-कभी आदमी समय के आगे इतना बेबस और लाचार नजर आता है कि उसे अपने खुद की रची हुई अनचाही परिस्थितियों से निकलना मुश्किल हो जाता है। अगर वक़्त आपको मुझेहाँह चिढ़ाने पर आ जाए तो समझें कि ऊँट पर बैठे होने के बावजूद आपको कुत्ता काट सकता है। लेकिन अगर यही वक़्त किसी के साथ यारी कर ले तो चाय वाला भी देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। सब समय और तकदीर की बात है। अगर वक़्त और तकदीर दोनों आपके साथ हैं तो आपकी मटमैली तस्वीर के सुनहरा होने में पल भर की भी देरी नहीं लगती। फिलहाल, मैं खुद को खुशकिस्मत मानूं या नहीं, मैं खुद फैसला नहीं कर पा रहा हूं। लेकिन मेरी किताब पढ़ने के बाद आप ये राय जरूर कायम कर कसेंगे कि मेरे भूत को देखते हुए मेरा भविष्य मुझे किस दिशा में ले जाएगा। मैं आप पाठकों के ज्योतिषी होने की अपेक्षा नहीं कर रहा लेकिन इस किताब को पढ़ने के बाद आप मेरे चाल, चेहरा और चरित्र को लेकर आंकलन तो कर ही सकते हैं। तो तैयार हो जाइए बिना लाग-लपेट के मेरे बारे में अपनी राय बनाने की.मैं अपने बारे में सब कुछ लिखने जा रहा हूं, जिसकी समीक्षा आप लोगों को ही करनी है और बताना है मेरा अपराध.
11.99 In Stock
मेरा अपराध

मेरा अपराध

by डॉ. शिखर अग्रवा
मेरा अपराध

मेरा अपराध

by डॉ. शिखर अग्रवा

Paperback

$11.99 
  • SHIP THIS ITEM
    Qualifies for Free Shipping
  • PICK UP IN STORE

    Your local store may have stock of this item.

Related collections and offers


Overview

ये जो वक़्त का पहिया है ना ! ना तो ये कभी रूका है और ना ही कभी रूकेगा.वैसे भी कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है लेकिन कभी-कभी आदमी समय के आगे इतना बेबस और लाचार नजर आता है कि उसे अपने खुद की रची हुई अनचाही परिस्थितियों से निकलना मुश्किल हो जाता है। अगर वक़्त आपको मुझेहाँह चिढ़ाने पर आ जाए तो समझें कि ऊँट पर बैठे होने के बावजूद आपको कुत्ता काट सकता है। लेकिन अगर यही वक़्त किसी के साथ यारी कर ले तो चाय वाला भी देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। सब समय और तकदीर की बात है। अगर वक़्त और तकदीर दोनों आपके साथ हैं तो आपकी मटमैली तस्वीर के सुनहरा होने में पल भर की भी देरी नहीं लगती। फिलहाल, मैं खुद को खुशकिस्मत मानूं या नहीं, मैं खुद फैसला नहीं कर पा रहा हूं। लेकिन मेरी किताब पढ़ने के बाद आप ये राय जरूर कायम कर कसेंगे कि मेरे भूत को देखते हुए मेरा भविष्य मुझे किस दिशा में ले जाएगा। मैं आप पाठकों के ज्योतिषी होने की अपेक्षा नहीं कर रहा लेकिन इस किताब को पढ़ने के बाद आप मेरे चाल, चेहरा और चरित्र को लेकर आंकलन तो कर ही सकते हैं। तो तैयार हो जाइए बिना लाग-लपेट के मेरे बारे में अपनी राय बनाने की.मैं अपने बारे में सब कुछ लिखने जा रहा हूं, जिसकी समीक्षा आप लोगों को ही करनी है और बताना है मेरा अपराध.

Product Details

ISBN-13: 9789386619686
Publisher: Redgrab Books Pvt Ltd
Publication date: 07/29/2021
Pages: 118
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.28(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

Customer Reviews