स्पर्श की चाँदनी
जुनूबी एशिया में तक़रीबन सारी ज़बानों की लोक कहानियों पर ईरानी कहानियों के गहरे असरात हैं। ख़ुसूसन पंजाब के देहातों में दम तोड़ती हुई बहुत सी कहानियां तो ईरानी लोक-कहानियों की डार ही की बिछड़ी हुई कूंजें लगती हैं। हमारे हां अपनी इस मीरास को महफ़ूज़ करने की संजीदा इजतेमाई कोशिशें नहीं हुईं। इनफ़रादी सतह पर इक्का दुक्का क़ाबिले-तारीफ़ काम ज़रूर हुए हैं लेकिन ईरान में लोक-कहानियों की जमा आवरी और इनसे मुताल्लिक़ तहक़ीक़ी व तजज़ियाती मुतालेआत की तारीख़ सात आठ से ज़ाइद अहम किताबें सामने आ चुकी हैं। ईरानी अकाबिरे-इल्मो-दानिश ने अपने इस तहज़ीबी सरमाए को महफ़ूज़ करने और इसे मौज़ू-ए-नक़द-ओ-नज़र बनाने में हमेशा गहरी दिलचस्पी ली है। मुहम्मद अली जमाल ज़ादा - सादिक़ हिदायत और मुनीर री पुर जैसे दास्तानवी अदब के अज़ीम नाम हों - अहमद शामलो जैसे रुजहान साज़ शायर या जलाल सत्तारी जैसे मुहक़्क़िक़ दानिशवर सभी ने इस अदबी व सक़ाफ़ती कारए-ख़ैर में नुमायाँ किरदार अदा किया है।.
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स्पर्श की चाँदनी
जुनूबी एशिया में तक़रीबन सारी ज़बानों की लोक कहानियों पर ईरानी कहानियों के गहरे असरात हैं। ख़ुसूसन पंजाब के देहातों में दम तोड़ती हुई बहुत सी कहानियां तो ईरानी लोक-कहानियों की डार ही की बिछड़ी हुई कूंजें लगती हैं। हमारे हां अपनी इस मीरास को महफ़ूज़ करने की संजीदा इजतेमाई कोशिशें नहीं हुईं। इनफ़रादी सतह पर इक्का दुक्का क़ाबिले-तारीफ़ काम ज़रूर हुए हैं लेकिन ईरान में लोक-कहानियों की जमा आवरी और इनसे मुताल्लिक़ तहक़ीक़ी व तजज़ियाती मुतालेआत की तारीख़ सात आठ से ज़ाइद अहम किताबें सामने आ चुकी हैं। ईरानी अकाबिरे-इल्मो-दानिश ने अपने इस तहज़ीबी सरमाए को महफ़ूज़ करने और इसे मौज़ू-ए-नक़द-ओ-नज़र बनाने में हमेशा गहरी दिलचस्पी ली है। मुहम्मद अली जमाल ज़ादा - सादिक़ हिदायत और मुनीर री पुर जैसे दास्तानवी अदब के अज़ीम नाम हों - अहमद शामलो जैसे रुजहान साज़ शायर या जलाल सत्तारी जैसे मुहक़्क़िक़ दानिशवर सभी ने इस अदबी व सक़ाफ़ती कारए-ख़ैर में नुमायाँ किरदार अदा किया है।.
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स्पर्श की चाँदनी

स्पर्श की चाँदनी

by रमेश कँवल
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स्पर्श की चाँदनी

by रमेश कँवल

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जुनूबी एशिया में तक़रीबन सारी ज़बानों की लोक कहानियों पर ईरानी कहानियों के गहरे असरात हैं। ख़ुसूसन पंजाब के देहातों में दम तोड़ती हुई बहुत सी कहानियां तो ईरानी लोक-कहानियों की डार ही की बिछड़ी हुई कूंजें लगती हैं। हमारे हां अपनी इस मीरास को महफ़ूज़ करने की संजीदा इजतेमाई कोशिशें नहीं हुईं। इनफ़रादी सतह पर इक्का दुक्का क़ाबिले-तारीफ़ काम ज़रूर हुए हैं लेकिन ईरान में लोक-कहानियों की जमा आवरी और इनसे मुताल्लिक़ तहक़ीक़ी व तजज़ियाती मुतालेआत की तारीख़ सात आठ से ज़ाइद अहम किताबें सामने आ चुकी हैं। ईरानी अकाबिरे-इल्मो-दानिश ने अपने इस तहज़ीबी सरमाए को महफ़ूज़ करने और इसे मौज़ू-ए-नक़द-ओ-नज़र बनाने में हमेशा गहरी दिलचस्पी ली है। मुहम्मद अली जमाल ज़ादा - सादिक़ हिदायत और मुनीर री पुर जैसे दास्तानवी अदब के अज़ीम नाम हों - अहमद शामलो जैसे रुजहान साज़ शायर या जलाल सत्तारी जैसे मुहक़्क़िक़ दानिशवर सभी ने इस अदबी व सक़ाफ़ती कारए-ख़ैर में नुमायाँ किरदार अदा किया है।.

Product Details

ISBN-13: 9789386619365
Publisher: Redgrab Books Pvt Ltd
Publication date: 07/29/2021
Pages: 190
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.44(d)
Language: Hindi
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