लाला सीताराम ने 1932 में अयोध्या का इतिहास लिखा था। इनके पूर्वज राम के अनन्य भक्त थे। इसलिए जौनपुर छोड़ अयोध्या नगरी में बस गए थे। लाला सीताराम ने अयोध्या में अपने घर के एक कमरे में रामायण मंदिर भी बना रखा था। यहाँ रहते हुए उन्होंने 'अयोध्या का इतिहास' लिखना प्रारंभ किया। वेद से लेकर पुराणों में अयोध्या का उल्लेख तो मिलता है लेकिन अयोध्या के इतिहास पर कोई समग्र दृष्टि डालती पुस्तक का अभाव लगातार उन्हें यह इतिहास लिखने के लिए प्रेरित करता रहा। लाला सीताराम ने गहन शोध कर वेद काल से लेकर ब्रिटिश काल के अयोध्या पर प्रकाश डाला है। अयोध्या न सिर्फ हिंदुओं का एक पवित्रतम तीर्थ है वरन् जैन, बौद्ध और सिख के लिए भी उतना ही पावन और श्रद्धा का केंद्र है।