bala udyana

ज्यों सागर, विद्रुम के पेड़, सीपियाँ, दानाविध मछलियाँ तथा अन्य जल-जीव मन को मुग्ध करते हैं| वनों में पेड़ -पौधे, वेलें, वनस्पतियाँ, पल्लव, फल-फूल तथा हरियाली, हृदय को आनन्दित करती हैं| हिम से आच्छादित पर्वत-शृंगों पर जब सूर्योदयकालीन तथा सूर्यास्तकालीन लालिमा पड़ती है, तो चित्त प्रसन्नता से गदगद हो जाता है| सूने आकाश में बादलों का घिर आना, रिमझिम कर बरसना, आँखों को मनोहर लगता है| त्यों घर-आँगन में बच्चों की चहचहाहट, खिलखिलाहट, उनके रोने -चिल्लाने की आवाज, हृदय कोने के सूने भाग में खुशियाँ भर देता है, जो हमें इतना कुछ देते हैं, जिससे कि हम अपनी सारी, व्यथा-कथा भूल जाते हैं| उनके लिये मुझे भी तो कुछ करना चाहिए| यही सोच मुझे बाल उद्यान लिखने के लिए, मेरे हाथ में कलम और कागज़ पकड़ा दिया, और मुझसे जो कुछ संभव हो पाया, वह सभी आपके समक्ष प्रतुत है| हमें जानती हूँ, मुझसे पहले भी अनेकों कवि विद्वान, लेखक इन बच्चों के लिये एक से एक सुन्दर कविता, कहानी लिख गए हैं| आज भी लिखी जा रही है, और कल भी लिखी जायेगी| यह तो एक सागर है, और मैं उस सागर जल के एक बूंद का सौवां नहीं, शायद हजारवां हिस्सा रहूँगी|
प्रतिपल इस स्वप्न संसार के सामने सत्य संसार को, असत्य कर समुद्र-फेन को फाड़कर, सुन्दरता, सुकुमारता और उन्मत्तता का संदेश देने वाले, इन नन्हें, मुन्नों के लिए, मुझे भी कुछ करना चाहिए, जिससे कि ये सपने, उनका पिंड छोड़ दें| वे जीवन की वास्तविकता, और उनके मूल्य को जान सकें| अपने पग ही नहीं, अपने कर, चक्षु, कर्ण, नासिका सभी को विराट रूप देकर, इस त्रिभुवन को ही नहीं, त्रिकाल का भी ओर-छोर माप सकें और इनके छोटे-छोटे हाथ, कल बड़ा होकर उपवन में खिली चमेली के फूल को, ऊँचे पर्वतों पर से उतार सकें|
आशा है, बच्चों की यह फुलवारी, जहाँ केवल पुष्प ही नहीं, हाथी-घोड़े, कौवे-चील सभी हैं, उन्हें पसंद आयेंगी|

1142896497
bala udyana

ज्यों सागर, विद्रुम के पेड़, सीपियाँ, दानाविध मछलियाँ तथा अन्य जल-जीव मन को मुग्ध करते हैं| वनों में पेड़ -पौधे, वेलें, वनस्पतियाँ, पल्लव, फल-फूल तथा हरियाली, हृदय को आनन्दित करती हैं| हिम से आच्छादित पर्वत-शृंगों पर जब सूर्योदयकालीन तथा सूर्यास्तकालीन लालिमा पड़ती है, तो चित्त प्रसन्नता से गदगद हो जाता है| सूने आकाश में बादलों का घिर आना, रिमझिम कर बरसना, आँखों को मनोहर लगता है| त्यों घर-आँगन में बच्चों की चहचहाहट, खिलखिलाहट, उनके रोने -चिल्लाने की आवाज, हृदय कोने के सूने भाग में खुशियाँ भर देता है, जो हमें इतना कुछ देते हैं, जिससे कि हम अपनी सारी, व्यथा-कथा भूल जाते हैं| उनके लिये मुझे भी तो कुछ करना चाहिए| यही सोच मुझे बाल उद्यान लिखने के लिए, मेरे हाथ में कलम और कागज़ पकड़ा दिया, और मुझसे जो कुछ संभव हो पाया, वह सभी आपके समक्ष प्रतुत है| हमें जानती हूँ, मुझसे पहले भी अनेकों कवि विद्वान, लेखक इन बच्चों के लिये एक से एक सुन्दर कविता, कहानी लिख गए हैं| आज भी लिखी जा रही है, और कल भी लिखी जायेगी| यह तो एक सागर है, और मैं उस सागर जल के एक बूंद का सौवां नहीं, शायद हजारवां हिस्सा रहूँगी|
प्रतिपल इस स्वप्न संसार के सामने सत्य संसार को, असत्य कर समुद्र-फेन को फाड़कर, सुन्दरता, सुकुमारता और उन्मत्तता का संदेश देने वाले, इन नन्हें, मुन्नों के लिए, मुझे भी कुछ करना चाहिए, जिससे कि ये सपने, उनका पिंड छोड़ दें| वे जीवन की वास्तविकता, और उनके मूल्य को जान सकें| अपने पग ही नहीं, अपने कर, चक्षु, कर्ण, नासिका सभी को विराट रूप देकर, इस त्रिभुवन को ही नहीं, त्रिकाल का भी ओर-छोर माप सकें और इनके छोटे-छोटे हाथ, कल बड़ा होकर उपवन में खिली चमेली के फूल को, ऊँचे पर्वतों पर से उतार सकें|
आशा है, बच्चों की यह फुलवारी, जहाँ केवल पुष्प ही नहीं, हाथी-घोड़े, कौवे-चील सभी हैं, उन्हें पसंद आयेंगी|

2.5 In Stock
bala udyana

bala udyana

by ??. ???? ????
bala udyana

bala udyana

by ??. ???? ????

eBook

$2.50 

Available on Compatible NOOK devices, the free NOOK App and in My Digital Library.
WANT A NOOK?  Explore Now

Related collections and offers

LEND ME® See Details

Overview

ज्यों सागर, विद्रुम के पेड़, सीपियाँ, दानाविध मछलियाँ तथा अन्य जल-जीव मन को मुग्ध करते हैं| वनों में पेड़ -पौधे, वेलें, वनस्पतियाँ, पल्लव, फल-फूल तथा हरियाली, हृदय को आनन्दित करती हैं| हिम से आच्छादित पर्वत-शृंगों पर जब सूर्योदयकालीन तथा सूर्यास्तकालीन लालिमा पड़ती है, तो चित्त प्रसन्नता से गदगद हो जाता है| सूने आकाश में बादलों का घिर आना, रिमझिम कर बरसना, आँखों को मनोहर लगता है| त्यों घर-आँगन में बच्चों की चहचहाहट, खिलखिलाहट, उनके रोने -चिल्लाने की आवाज, हृदय कोने के सूने भाग में खुशियाँ भर देता है, जो हमें इतना कुछ देते हैं, जिससे कि हम अपनी सारी, व्यथा-कथा भूल जाते हैं| उनके लिये मुझे भी तो कुछ करना चाहिए| यही सोच मुझे बाल उद्यान लिखने के लिए, मेरे हाथ में कलम और कागज़ पकड़ा दिया, और मुझसे जो कुछ संभव हो पाया, वह सभी आपके समक्ष प्रतुत है| हमें जानती हूँ, मुझसे पहले भी अनेकों कवि विद्वान, लेखक इन बच्चों के लिये एक से एक सुन्दर कविता, कहानी लिख गए हैं| आज भी लिखी जा रही है, और कल भी लिखी जायेगी| यह तो एक सागर है, और मैं उस सागर जल के एक बूंद का सौवां नहीं, शायद हजारवां हिस्सा रहूँगी|
प्रतिपल इस स्वप्न संसार के सामने सत्य संसार को, असत्य कर समुद्र-फेन को फाड़कर, सुन्दरता, सुकुमारता और उन्मत्तता का संदेश देने वाले, इन नन्हें, मुन्नों के लिए, मुझे भी कुछ करना चाहिए, जिससे कि ये सपने, उनका पिंड छोड़ दें| वे जीवन की वास्तविकता, और उनके मूल्य को जान सकें| अपने पग ही नहीं, अपने कर, चक्षु, कर्ण, नासिका सभी को विराट रूप देकर, इस त्रिभुवन को ही नहीं, त्रिकाल का भी ओर-छोर माप सकें और इनके छोटे-छोटे हाथ, कल बड़ा होकर उपवन में खिली चमेली के फूल को, ऊँचे पर्वतों पर से उतार सकें|
आशा है, बच्चों की यह फुलवारी, जहाँ केवल पुष्प ही नहीं, हाथी-घोड़े, कौवे-चील सभी हैं, उन्हें पसंद आयेंगी|


Product Details

BN ID: 2940165853890
Publisher: ??. ???? ????
Publication date: 05/07/2022
Sold by: Smashwords
Format: eBook
File size: 7 MB
Age Range: 5 - 11 Years
Language: Hindi

About the Author

Dr. Tara Singh, well known Hindi Litterateur, a versatile writer, taking keen interests in writing Poems, Short Stories, Novels, Ghazals, Filmy Songs and Essay Books.
She always deals with real facts and original aspects of a relationships between individuals / family members / friends. Thus, she illustrates not only the pleasant love but also sometimes resulting development like despair, betrayals and disloyalties.
With publication of 46 books (Novels-4, poetry books-20, story books-15, Ghazal books-7), she is presently working as the Editor-in-Chief and Administrator of www.swargvibha.com (A leading Hindi Website) and the Swargvibha Hindi quarterly magazine. She has gotten wide applauses for her emotional and thoughtful Poems, Stories and Ghazals, while dealing with Social and Family issues, Personal and Social delicacies, Philosophy of life and Reality, Birth and Death Cycles, etc.
Dr. Tara Singh's outstanding works have been duly recognized and she has already been awarded 255 awards / felicitations / trophies from both National and International Organizations of repute. Her writings / books are now available at www.swargvibha.com and www.kukufm.com (As Audiobooks), Google books, www.amazon.in, www.flipkart.com, Insta Publish, Suman Publications, www.pothi.com, Central and State Libraries in India and 30 other websites world over, etc. Her Biography, “TARA SINGH AUTHOR” has been published by Barnes and Noble (USA 2011) and also by Rifacimento International, 9 times in Who's Who (2006-2019) and Wikipedia. Her writings are always full of serious thoughts, topics, pace of happenings and philosophy of life.

From the B&N Reads Blog

Customer Reviews