भिक्खु कश्यप ने अपने सब्रह्मचारी मित्र-भिक्षुओं के साथ अनेक वर्षों तक धर्माभ्यास (परियत्ति) करते हुए, धर्मचर्चा करते हुए, धर्म समझकर साधना कर, धर्म-प्रतिपादन (पटिपत्ति) करते हुए, प्रैक्टिस (भावना) से जुड़े ऐसे सुत्तों का संकलन किया—
1. जो बुद्ध की मूल-वाणी हो,
2. जो सभी के लिए उपयुक्त, सभी को सरलतापूर्वक समझ आये—चाहे वह कभी धर्म न सुना आम आदमी हो, या धर्म-सुने उपासक, उपासिका, साधक या भिक्षु हो,
3. जो विमुक्ति और विमोक्ष छूने के लिए आवश्यक मूल-सूत्रों और सिद्धांतों से अवगत भी कराए,
4. जो धातु-विशेष भिन्न साधकों के भिन्न प्रगतिपथों पर प्रकाश तो डाले ही, किंतु विभिन्न पायदानों पर खड़े सभी साधकों के लिए उपयुक्त भी हो;
5. जो हमेशा सिरहाने होते हुए, साधकों को आध्यात्मिक साथ देते रहें, शान्ति प्रदान करते रहें, सांत्वना देते रहें, सम्यक-मार्ग पर रखें, अग्रसर होने के लिए प्रोत्साहन भी देते रहें, और वक़्त आने पर फटकारें भी।
उन्होंने इसके लिए अनेक वर्षों तक ‘पालि पञ्चनिकाय’ से साधना-संबंधित मूल सुत्तों को इकठ्ठा करते हुए, उन्हें विषयात्मक-रूप से क्रमबद्ध कर, उसे अपने आप में एक स्वचलित प्रवाह देने का प्रयास किया है। एक ऐसी पहल, जिसमें भगवान बुद्ध और श्रोताओं के बीच कोई न आए। और समकालीन श्रोताओं को भी कहने का मौका मिलें, ‘आश्चर्य है भगवान, अद्भुत है!’
इसके लिए पूज्य गुरुवर थानिसारो भिक्खु (www.dhammatalks.org) के अनेक पालि-अंग्रेजी अनुवादों और पुस्तकों से मदद ली गयी, ख़ास तौर पर Wings to Awakening इत्यादि। बेहतरीन व विश्वसनीय अंग्रेजी-अनुवादों के लिए भिक्खु बोधि (Wisdom Publications), भिक्खु सुजातो (www.suttacentral.net), T.W. Rhys Davids का उपयोग किया गया है। इनके अलावा राहुल सांकृत्यायन, भिक्खु आनन्द कौसल्यायन, और भिक्खु जगदीश कश्यप द्वारा हिंदी-अनुवादों से भी मदद ली गयी। उनके अलावा मूल पालि का सन्दर्भ लेते हुए, विभिन्न पालि-अंग्रेजी शब्दकोषों से भी उचित व्याख्या ली गयी।
लेखक का इस तरह अनेक भाषानुवाद और पहलुओं का अभ्यास करते हुए, धम्म के प्रति उनकी समझ अधिक गहरी होती गयी, जिसका निचोड़ उन्होंने यहाँ इस पुस्तक में देने का प्रयास किया है। धम्म के तकनीकी-शब्दों को आज की सरल, आम भाषा में अनुवादित किया गया है।
(यह धार्मिक-पुस्तिका केवल मुफ़्त वितरण के लिए है। आप इसे पढ़ें, और अन्य लोगों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें।)