ऊपर का आवरण
क्या चाहती थी मैं?
त्रिया चरित्र
राणो के घर
मैं और अमर
गाँव और दिल्ली
सब बदलने लगा
अपनी जमीन पर
टी. सिंह जी के द्वारा लिखे इस उपन्यास "दूसरी औरत" की कहानी एक ऐसी औरत के जीवन के बारे में है जो जीवन के कई वर्ष एक दूसरी औरत का जीवन बिताती है लेकिन कभी भी पहली औरत बनने की कोशिश नहीं करती है।
फिर अचानक ही घटनाक्रम एक ऐसे मोड़ पर आ जाता है जहां उसको अचानक ही पहली औरत का किरदार मिल जाता है।
इस खूबसूरत मन को छू लेने वाली कहानी में आपको बहुत से उतार चढ़ाव मिलेंगे जिनमें से आप भी शायद अपने लिए कुछ खोजकर निकाल लें। हमारी इस कहानी में हमने नायिका को कोई भी नाम नहीं दिया है क्योंकि ये सिर्फ उसकी कहानी नहीं है, दुनिया भर की करोड़ों औरतों की कहानी है।