temsa ki saragama

बीसवीं सदी के अंग्रेजों की गुलामी के कुछ दशक भारतीय मंच पर तमाम ऐसी घटनाओं को फोकस करने में लगे रहे जिससे सम्पूर्ण जनमानस जागा और गुलामी के कलंक को माथे से मिटाने में जुट गया। आजादी का प्रयास इतना, महत्वपूर्ण हो उठा था कि तमाम धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक असमानताएँ भूल बस संघर्ष की आँच में कूद पड़ने का जनमानस बन चुका था। एकबारगी धर्म, साहित्य, कला (संगीत, नृत्य, चित्रकला) से जुड़े लोग भी कुछ ऐसी ही मानसिकता बना खुद को उसमें झौंकने को तत्पर थे। बीसवीं सदी की शुरूआत के वे चार दशक मैंने बड़ी बारीकी से पढ़े थे और उस वक्त की परिस्थितियों ने मेरे मन में अन्य किसी भी काल के इतिहास से अधिक जगह बना ली थी। मैं साहित्य में उतरी, फिल्मों को खँगाला, संगीत, चित्रकला और नाट्यकला के द्वार खटखटाए और इतनी असरदार तारीख़ों से गुज़री कि मुझे लगा अगर इन तारीखों पे मैंने नहीं लिखा तो मन की उथलपुथल कभी शांत नहीं हो सकती।
बीसवीं सदी के अंग्रेजों की गुलामी के कुछ दशक भारतीय मंच पर तमाम ऐसी घटनाओं को फोकस करने में लगे रहे जिससे सम्पूर्ण जनमानस जागा और गुलामी के कलंक को माथे से मिटाने में जुट गया। आजादी का प्रयास इतना, महत्वपूर्ण हो उठा था कि तमाम धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक असमानताएँ भूल बस संघर्ष की आँच में कूद पड़ने का जनमानस बन चुका था। एकबारगी धर्म, साहित्य, कला (संगीत, नृत्य, चित्रकला) से जुड़े लोग भी कुछ ऐसी ही मानसिकता बना खुद को उसमें झौंकने को तत्पर थे। बीसवीं सदी की शुरूआत के वे चार दशक मैंने बड़ी बारीकी से पढ़े थे और उस वक्त की परिस्थितियों ने मेरे मन में अन्य किसी भी काल के इतिहास से अधिक जगह बना ली थी। मैं साहित्य में उतरी, फिल्मों को खँगाला, संगीत, चित्रकला और नाट्यकला के द्वार खटखटाए और इतनी असरदार तारीख़ों से गुज़री कि मुझे लगा अगर इन तारीखों पे मैंने नहीं लिखा तो मन की उथलपुथल कभी शांत नहीं हो सकती।

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बीसवीं सदी के अंग्रेजों की गुलामी के कुछ दशक भारतीय मंच पर तमाम ऐसी घटनाओं को फोकस करने में लगे रहे जिससे सम्पूर्ण जनमानस जागा और गुलामी के कलंक को माथे से मिटाने में जुट गया। आजादी का प्रयास इतना, महत्वपूर्ण हो उठा था कि तमाम धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक असमानताएँ भूल बस संघर्ष की आँच में कूद पड़ने का जनमानस बन चुका था। एकबारगी धर्म, साहित्य, कला (संगीत, नृत्य, चित्रकला) से जुड़े लोग भी कुछ ऐसी ही मानसिकता बना खुद को उसमें झौंकने को तत्पर थे। बीसवीं सदी की शुरूआत के वे चार दशक मैंने बड़ी बारीकी से पढ़े थे और उस वक्त की परिस्थितियों ने मेरे मन में अन्य किसी भी काल के इतिहास से अधिक जगह बना ली थी। मैं साहित्य में उतरी, फिल्मों को खँगाला, संगीत, चित्रकला और नाट्यकला के द्वार खटखटाए और इतनी असरदार तारीख़ों से गुज़री कि मुझे लगा अगर इन तारीखों पे मैंने नहीं लिखा तो मन की उथलपुथल कभी शांत नहीं हो सकती।
बीसवीं सदी के अंग्रेजों की गुलामी के कुछ दशक भारतीय मंच पर तमाम ऐसी घटनाओं को फोकस करने में लगे रहे जिससे सम्पूर्ण जनमानस जागा और गुलामी के कलंक को माथे से मिटाने में जुट गया। आजादी का प्रयास इतना, महत्वपूर्ण हो उठा था कि तमाम धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक असमानताएँ भूल बस संघर्ष की आँच में कूद पड़ने का जनमानस बन चुका था। एकबारगी धर्म, साहित्य, कला (संगीत, नृत्य, चित्रकला) से जुड़े लोग भी कुछ ऐसी ही मानसिकता बना खुद को उसमें झौंकने को तत्पर थे। बीसवीं सदी की शुरूआत के वे चार दशक मैंने बड़ी बारीकी से पढ़े थे और उस वक्त की परिस्थितियों ने मेरे मन में अन्य किसी भी काल के इतिहास से अधिक जगह बना ली थी। मैं साहित्य में उतरी, फिल्मों को खँगाला, संगीत, चित्रकला और नाट्यकला के द्वार खटखटाए और इतनी असरदार तारीख़ों से गुज़री कि मुझे लगा अगर इन तारीखों पे मैंने नहीं लिखा तो मन की उथलपुथल कभी शांत नहीं हो सकती।

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बीसवीं सदी के अंग्रेजों की गुलामी के कुछ दशक भारतीय मंच पर तमाम ऐसी घटनाओं को फोकस करने में लगे रहे जिससे सम्पूर्ण जनमानस जागा और गुलामी के कलंक को माथे से मिटाने में जुट गया। आजादी का प्रयास इतना, महत्वपूर्ण हो उठा था कि तमाम धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक असमानताएँ भूल बस संघर्ष की आँच में कूद पड़ने का जनमानस बन चुका था। एकबारगी धर्म, साहित्य, कला (संगीत, नृत्य, चित्रकला) से जुड़े लोग भी कुछ ऐसी ही मानसिकता बना खुद को उसमें झौंकने को तत्पर थे। बीसवीं सदी की शुरूआत के वे चार दशक मैंने बड़ी बारीकी से पढ़े थे और उस वक्त की परिस्थितियों ने मेरे मन में अन्य किसी भी काल के इतिहास से अधिक जगह बना ली थी। मैं साहित्य में उतरी, फिल्मों को खँगाला, संगीत, चित्रकला और नाट्यकला के द्वार खटखटाए और इतनी असरदार तारीख़ों से गुज़री कि मुझे लगा अगर इन तारीखों पे मैंने नहीं लिखा तो मन की उथलपुथल कभी शांत नहीं हो सकती।


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BN ID: 2940155304814
Publisher: ?????? ??????????
Publication date: 06/20/2018
Sold by: Smashwords
Format: eBook
File size: 584 KB
Language: Hindi

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सम्पादक के पद पर कार्यरत

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