??? ??, ?? ??? ?? ?? ??????????? ?????? ?? ????????? ???? ?? ?????? ??????? (Desa Eka, Eka Hai? Hama Saba Sa?pradayika Sadbhava Aura Ra??riya Ekata Para Adharita Kavitae?)
'देश एक, एक हैं हम सब' एक ऐसा रोचक संकलन है, जिसमें 'सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता' विषय के विविध आयामों पर देश के जाने-माने कुछ 100 प्रतिष्ठित कवियों द्वारा भारत की राष्ट्र-भाषा हिंदी में रचित कुछ 125 कविताएँ समाहित हैं। 'देश एक है'। यह उक्ति राष्ट्र के तौर पर 'भारत की एकता और अखण्डता' को ज़ाहिर करती है। 'एक हैं हम सब'। यह भारतवासियों के मन में होने वाली 'राष्ट्रीय समरसता' की बुलंद भावना है, जो संप्रदायों के दायरे से आगे बढ़कर 'आपसी सद्भाव, समभाव, सरोकार और सहकारिता' के बलबूते 'साझी संस्कृति' को जीने पर नज़ीब होती है। 'विविधता' भारत की विशिष्ट पहचान है। जाति, भाषा, विचारधारा, धर्म, संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा, आदि विविधताओं में 'एकता' की बिगुल बजाने वाला तत्व 'समरसता' है। भारत के संविधान में मौज़ूद 'पंथ-निरपेक्षता' इस समरसता का आधार है। 'सभी रहें' यह भाव लोकतंत्र की आत्मा है। 'भारतीयता' विविधता, पंथ-निरपेक्षता, समग्रता, समता, समरसता, एकता और साझेदारी का संयुक्त फल भी है। सद्भाव, आपसी समझ, मैत्री और सामाजिक समन्वय के ज़रिये भारत के नागरिकों में देश की अखण्डता और एकता को मजबूत करने और उसके फलस्वरूप साप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता का माहौल कायम रखने में और 'मिल-जुलकर रहने की तहज़ीब' की ओर उभरने में इन महान कवियों की मर्मस्पर्शी और प्रेरणादायक उद्भावनाएँ और उद्गार बहुत काम आयेंगी, यह हमारी प्रबल आशा है।
1142025697
??? ??, ?? ??? ?? ?? ??????????? ?????? ?? ????????? ???? ?? ?????? ??????? (Desa Eka, Eka Hai? Hama Saba Sa?pradayika Sadbhava Aura Ra??riya Ekata Para Adharita Kavitae?)
'देश एक, एक हैं हम सब' एक ऐसा रोचक संकलन है, जिसमें 'सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता' विषय के विविध आयामों पर देश के जाने-माने कुछ 100 प्रतिष्ठित कवियों द्वारा भारत की राष्ट्र-भाषा हिंदी में रचित कुछ 125 कविताएँ समाहित हैं। 'देश एक है'। यह उक्ति राष्ट्र के तौर पर 'भारत की एकता और अखण्डता' को ज़ाहिर करती है। 'एक हैं हम सब'। यह भारतवासियों के मन में होने वाली 'राष्ट्रीय समरसता' की बुलंद भावना है, जो संप्रदायों के दायरे से आगे बढ़कर 'आपसी सद्भाव, समभाव, सरोकार और सहकारिता' के बलबूते 'साझी संस्कृति' को जीने पर नज़ीब होती है। 'विविधता' भारत की विशिष्ट पहचान है। जाति, भाषा, विचारधारा, धर्म, संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा, आदि विविधताओं में 'एकता' की बिगुल बजाने वाला तत्व 'समरसता' है। भारत के संविधान में मौज़ूद 'पंथ-निरपेक्षता' इस समरसता का आधार है। 'सभी रहें' यह भाव लोकतंत्र की आत्मा है। 'भारतीयता' विविधता, पंथ-निरपेक्षता, समग्रता, समता, समरसता, एकता और साझेदारी का संयुक्त फल भी है। सद्भाव, आपसी समझ, मैत्री और सामाजिक समन्वय के ज़रिये भारत के नागरिकों में देश की अखण्डता और एकता को मजबूत करने और उसके फलस्वरूप साप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता का माहौल कायम रखने में और 'मिल-जुलकर रहने की तहज़ीब' की ओर उभरने में इन महान कवियों की मर्मस्पर्शी और प्रेरणादायक उद्भावनाएँ और उद्गार बहुत काम आयेंगी, यह हमारी प्रबल आशा है।
59.99
In Stock
5
1
??? ??, ?? ??? ?? ?? ??????????? ?????? ?? ????????? ???? ?? ?????? ??????? (Desa Eka, Eka Hai? Hama Saba Sa?pradayika Sadbhava Aura Ra??riya Ekata Para Adharita Kavitae?)
262??? ??, ?? ??? ?? ?? ??????????? ?????? ?? ????????? ???? ?? ?????? ??????? (Desa Eka, Eka Hai? Hama Saba Sa?pradayika Sadbhava Aura Ra??riya Ekata Para Adharita Kavitae?)
262
59.99
In Stock
Product Details
ISBN-13: | 9789353248390 |
---|---|
Publisher: | GenNext Publication |
Publication date: | 06/30/2019 |
Sold by: | Barnes & Noble |
Format: | eBook |
Pages: | 262 |
File size: | 716 KB |
Language: | Hindi |
From the B&N Reads Blog