हिन्दी भाषा के महान उपन्यासकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री द्वारा रचित उपन्यास 'गोली' उनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है। इस उपन्यास में शास्त्री जी ने राजस्थान के राजा-महाराजाओं और उनके महलों के अंदरूनी जीवन को बड़े ही रोचक, मार्मिक तथा मनोरंजन के साथ पेश किया है। उन्होंने 'गोली' उपन्यास के माध्यम से दासियों के संबंधों को उकेरते हुए समकालीन समाज को रेखांकित किया है। 'गोली' एक बदनसीब दासी की करुण-व्यथा है जिसे जिन्दगीभर राजा की वासना का शिकार होना पड़ा, जिसकी वजह से उसके जीवनसाथी ने भी उसे छूने का साहस नहीं किया। यही इस उपन्यास का सार है। इसी कारण 'गोली' को हमेशा एक प्रामाणिक दस्तावेज माना जाएगा। शास्त्रीजी ने 'गोली' उपन्यास में अपनी समर्थ भाषा शैली की वजह से अद्भुत लोकप्रियता हासिल की तथा वे जन साहित्यकार बने।