Rakshendra Patan: Ravan - Pradurbhav Se Pranash

हमें राम के बारे मे तो बहुत ज्ञान है किन्तु क्या हमें
रावण के बारे में भी समुचित जानकारी है जो रामायण
की रचना का कारण है? रावण कौन था? वो कहाँ से आया था?
था? उसका उद्देष्य क्या था? उसकी आकांक्षा क्या थी
और क्यों उसने सीताहरण जैसा कुत्सित कार्य किया?
शूर्पणखा कैसे विधवा हुई और क्यों उसे अपना वैधव्य
जीवन व्यतीत करने के लिये दण्डकारण्य वन जाना पड़ा
इन्हीं सब प्रष्नों का उल्लेख इस काव्योपन्यास में किया
गया है जिसकी प्रेरणा रचनाकार को आचार्य चतुरसेन
शास्त्री द्वारा लिखित किताब ‘‘वयम् रक्षामः’’ से मिली।

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Rakshendra Patan: Ravan - Pradurbhav Se Pranash

हमें राम के बारे मे तो बहुत ज्ञान है किन्तु क्या हमें
रावण के बारे में भी समुचित जानकारी है जो रामायण
की रचना का कारण है? रावण कौन था? वो कहाँ से आया था?
था? उसका उद्देष्य क्या था? उसकी आकांक्षा क्या थी
और क्यों उसने सीताहरण जैसा कुत्सित कार्य किया?
शूर्पणखा कैसे विधवा हुई और क्यों उसे अपना वैधव्य
जीवन व्यतीत करने के लिये दण्डकारण्य वन जाना पड़ा
इन्हीं सब प्रष्नों का उल्लेख इस काव्योपन्यास में किया
गया है जिसकी प्रेरणा रचनाकार को आचार्य चतुरसेन
शास्त्री द्वारा लिखित किताब ‘‘वयम् रक्षामः’’ से मिली।

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हमें राम के बारे मे तो बहुत ज्ञान है किन्तु क्या हमें
रावण के बारे में भी समुचित जानकारी है जो रामायण
की रचना का कारण है? रावण कौन था? वो कहाँ से आया था?
था? उसका उद्देष्य क्या था? उसकी आकांक्षा क्या थी
और क्यों उसने सीताहरण जैसा कुत्सित कार्य किया?
शूर्पणखा कैसे विधवा हुई और क्यों उसे अपना वैधव्य
जीवन व्यतीत करने के लिये दण्डकारण्य वन जाना पड़ा
इन्हीं सब प्रष्नों का उल्लेख इस काव्योपन्यास में किया
गया है जिसकी प्रेरणा रचनाकार को आचार्य चतुरसेन
शास्त्री द्वारा लिखित किताब ‘‘वयम् रक्षामः’’ से मिली।


Product Details

BN ID: 2940165987274
Publisher: One Point Six Technologies Pvt Ltd
Publication date: 12/09/2022
Sold by: Smashwords
Format: eBook
File size: 2 MB
Language: Hindi

About the Author

आपका जन्म 21-05-1923 को इन्दौर में हुआ था
आपकी शिक्षा दीक्षा इन्दौर तथा सनावद में हुई।
1946 में खण्डवा शहर के शा. बहु. उच्च माध्य.
विद्यालय से शिक्षक के रूप में जीवन प्रारंभ किया।
शिक्षण कार्य के साथ साथ स्नातक परीक्षा पास की।
वर्ष 1956 में राजपत्रित अधिकारी के रूप में खण्डवा
में ही जिला ग्रंथपाल के पद पर आरूढ़ हुए। कुशल
प्रशासक के साथ साथ कवि हृदय होने के कारण
लेखन भी जारी रहा। नवंबर 1965 से मई 1972
तक तकरीबन साढ़े छः वर्ष तक खण्डवा में जिला
शिक्षा अधिकारी के पद पर रहे|प्रशासनिक पदों
पर रहते हुये भी साहित्य में इन्हें विशेष रुचि थी
आपकी कवितायें प्रायः विभिन्न पत्रिकाओं में
प्रकाशित होती रहती थीं। आपने राम चरित मानस
का गहन अध्ययन किया, एवं वर्ष 1965 में
इस काव्य ‘रक्षेन्द्र पतन‘ की रचना प्रारम्भ की
जो वर्ष 1978-79 में जब लगभग पूर्णता को थी,
उसी समय 22 नवम्बर 1979 को आपका स्वर्गवास
हो गया। डा. वनिता वाजपेयी ने इस काव्य को
पूर्ण करने में अथक परिश्रम किया। और अंततः
मैं इस काव्य को प्रकाशित करने में समर्थ होसका।

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